पापा की परी अब बड़ी हो गयी है
गुड़िया छोड़ अब खुद की शादी खेल रही है
बैठेबिठाए स्वयंवर रचाया जा रहा है
और बारीबारी नौजवान पेश किये जा रहे है
एक एक उम्मीदवार से पर्सनल मुलाकात हो रही है
कठहडे आपकी अदालत के तैयार किये जा रहे है
पढ़े कितना हो वाला सवाल आमदनी कितनी है पे जा रुकता है
कोई लत तो नहीं कह के युवा का चरित्र परिक्षण हो रहा है
आई वांट माय फ्रीडम में लिपट कर शर्ते आ रही है
सैलरी लड़की से ज़्यादा ही हो बोलकर फेमिनिस्म रज़ा ले लेता है
सोसिअल पे सहेलीओ की लिस्ट छोटी करते हुए
मान्यवर अपने जीवन का हिसाब दे रहे हैं
नौकर कितने हैं और हनीमून कहा जाएंगे की चर्चा
प्रेमालाप से लम्बी हो रही है सोचते है
कितनी सम्पति है पे सही जवाब देने परभी
माबाप तो साथ नहीं रहेंगे ना सुनके दिल चुभ जाता है
बस कितना कमाते हो और क्या सम्पति हैं के बिच में ही
नौजवानो की योग्यता का प्रमाण निकल जाता है
ऐसे ही सब पैमानों से अरेंज्ड मैरिज हो जाता है