बिना किये पूजा प्रसाद खा रहा है,
ये फ़क़ीर रोज़ा न जाने इफ्तार खा रहा है |
यूँ तो पेट भरता है लंगर से उसका,
मयखानो को खूब कारोबार दिलवाता है |
वतनपर्षतो को रोज़ बोल के ये गद्दार,
देशभक्ति की अपनी दुकान चला रहा है |
मांस बेच के माँ का गैरमुलकीओ को,
मासूमो के खून से पाप धो रहा हैं |
टॉक्सिक रिलेशनशिप का ये कौनसा अंदाज़ है?
बर्बादी का जश्न खुद बर्बादो से करवा रहा है |
Krunal Sagan
September 17, 2022